Shark Tank India-3: दो भाइयों ने पापा से ₹6 लाख लोन लेकर बनाई चुइंग गम, खड़ा किया ₹8 करोड़ का बिजनेस, मिली 4 शार्क डील
शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक चुइंग गम बनाने वाला एक स्टार्टअप (Startup) आया, जिसका नाम है Gud Gum. इस स्टार्टअप के बिजनेस (Business) के तमाम शार्क काफी प्रभावित हुए.
शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक चुइंग गम बनाने वाला एक स्टार्टअप (Startup) आया, जिसका नाम है Gud Gum. इस स्टार्टअप के बिजनेस (Business) के तमाम शार्क काफी प्रभावित हुए. स्टार्टअप के फाउंडर्स ने 5 फीसदी के बदले 50 लाख रुपये की मांग की थी. हालांकि, अंत में उन्हें 10 फीसदी के बदले 80 लाख रुपये मिले, जिसमें चार शार्क ने हिस्सा लिया. वहीं इस डील के तहत 4 फीसदी रॉयल्टी भी रखी गई, जब तक 80 लाख रुपये रिकवर नहीं हो जाते.
इस स्टार्टअप की शुरुआत करीब दो साल पहले मयंक बी नागोरी (29) ने अपने छोटे भाई भुवन बी नागोरी (24) के साथ मिलकर की थी. मयंक ने कैमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है और फूड साइंस में मास्टर्स की डिग्री ली है. वहीं भुवन ने मार्केटिंग और आंत्रप्रेन्योरशिप की पढ़ाई की है. इतनी छोटी सी उम्र में वह एक छोटे स्टार्टअप के सीएमओ भी रह चुके हैं.
बाकी सबकी तुलना में बहुत ही खास है ये चुइंग गम
स्टार्टअप फाउंडर्स बताते हैं कि अधिकतर चुइंग गम में प्लास्टिक होता है. उन्होंने कहा कि पॉलीविनाइल एसिसेट एक प्लास्टिक होता है, जो चुइंग गम में भी होता है और इसी से टायर और ग्लू जैसी चीजें भी बनती हैं. जहां एक ओर नॉर्मल चुइंग गम 100 साल से भी ज्यादा वक्त में डीग्रेड होता है, वहीं इस स्टार्टअप का चुइंग गम पूरी तरह से डीग्रेड हो सकता है.
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Gud Gum का चुइंग गम 100 फीसदी नेचुरल है, जिसमें जरा सा भी प्लास्टिक नहीं है. चिकले ट्री सैप (Chicle tree sap) से बनाया जाता है, जो गम जैसी प्रॉपर्टी वाला होता है. इस चुइंग गम को बनाने में इशेंशियल ऑयल और नेचुरल स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है. यह पूरी तरह से शुगर फ्री और ग्लूटन फ्री है. कंपनी के पास चारकोल, रासबेरी, दाल-चीनी और लेमन समेत करीब 9 तरह की चुइंग गम हैं. फाउंडर्स का दावा है कि उन्होंने अभी तक करीब 850 किलो प्लास्टिक पर्यावरण में जाने से बचाया है. कंपनी के प्रोडक्ट 14 शहरों के 120 से भी अधिक स्टोर्स में पहुंच चुके हैं. साथ ही वह ये प्रोडक्ट अपनी वेबसाइट और अमेजन से भी बेचते हैं.
क्या है कंपनी का विजन?
भले ही चुइंग गम सुनने में छोटी चीज लग रही हो, लेकिन कंपनी के फाउंडर्स का एक बड़ा विजन है. वह कहते हैं कि अभी चुइंग गम सिर्फ एक टाइमपास जैसा है, जिसे वह लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाना चाहते हैं. वह दुनिया को इसके फायदे और न्यूट्रिशनल बेनेफिट देना चाहते हैं. इस चुइंग गम की मदद से दांतों में होने वाली कैविटी से लड़ा जा सकता है. इसमें जायलोटॉल होता है, जो दातों को कैविटी से बचाता है.
इस स्टार्टअप के मुख्य टारगेट एथलीट, स्मोकर्स, डायबिटिक लोग और वह माता-पिता हैं, जो अपने बच्चों को चुइंग गम खरीद कर देते हैं. फाउंडर्स इसे एक हेल्थ सप्लीमेंट जैसा बनाना चाहते हैं. वह कहते हैं कि चुइंग गम से साइकोलॉजी का भी काफी संबंध होता है. आप अलग-अलग रणनीति बनाने वक्त अलग-अलग तरह से चुइंग कम को चबाते हैं.
कितने रुपये का है ये चुइंग गम?
हर चुइंग गम के पैक के साथ कुछ खाली पेपर के रैपर भी आते हैं, जिनमें आप चुइंग गम खाने के बाद डिस्पोज कर सकते हैं. यह कंपनी परफोरा जैसी बड़ी कंपनी के लिए भी चुइंग गम बनाती है. अपनी चुइंग गम से कंपनी 22-45 साल के लोगों को टारगेट कर रही है. कंपनी के प्रोडक्ट की कीमत अभी 100 रुपये के करीब है, जिसे भविष्य में 75 रुपये तक लाने की कोशिश करने की बात भी फाउंडर्स ने कही है.
पापा से लिया 6 लाख लोन, बनाई 8 करोड़ की कंपनी
यह स्टार्टअप अभी तक बूटस्ट्रैप्ड था और साथ ही प्रॉफिटेबल भी था. फाउंडर्स ने बताया कि उन्होंने अपने पापा से 6 लाख रुपये का लोन लेकर ये बिजनेस शुरू किया, जिसकी वैल्यू अब 8 करोड़ रुपये हो गई है. उन्होंने इस बिजनेस से पैसे कमाकर अपने पापा को वापस भी कर दिए हैं. इस बात से भी शार्क बहुत खुश हुए. इस स्टार्टअप ने 2022-23 में 29.7 लाख रुपये का रेवेन्यू किया था, लेकिन इस साल कंपनी 1 करोड़ रुपये का रेवेन्यू करने का दावा कर रही है. इनकी कमाई का हिस्सा ऑनलाइन और ऑफलाइन में 50-50 फीसदी बंटा हुआ है.
नमिता थापर ने तो इस स्टार्टअप में पैसे लगाने से मना कर दिया, लेकिन बाकी चारों शार्क ने इन्वेस्ट किया. इस बिजनेस में अमन गुप्ता, रितेश अग्रवाल, अनुपम मित्तल और विनीता सिंह ने साथ मिलकर 10 फीसदी इक्विटी के बदले 80 लाख रुपए (8 करोड़ रुपये वैल्युएशन) लगाए और साथ ही 80 लाख रुपये रिकवर होने तक 4 फीसदी की रॉयल्टी पर डील की है.
02:19 PM IST